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रंग परसाई स्वतंत्रतापूर्व साहित्य का जायजा लेना हो तो, प्रेमचंद का साहित्य और स्वातंत्रोत्तर भारत का सही जायजा लेने के लिए हरिशंकर परसाई। आजादी के बाद के मोहभंग को परसाई ने जिस मुखरता से अभिव्यक्त किया है,उसकी दूसरी मिसाल हिन्दी में दुर्लभ है। विसंगतियो को उजागर करने में उनकी जैसी महारता किसी के पास नही। मैनें परसाई जी की व्यंग सूक्तियो को अपनी रेखाओ का आधार बना कर जो कूछ भी रचा है,वह परसाई जी की रचना का विस्तार ही है। आज से तीन बरस पहले से परसाई जी के शब्दो को चित्रो मे सँजोता रहा हूँ।
9 टिप्पणियां:
बिल्कुल सच!
Dubeyji,
Sabse pahle to itne sundar ,bhavpoorna,yatharthparak evam saf suthre,kartoons banane ke liye meree hardik badhai evam shubhkamnayen sveekaren.Sath hee naya varsh apke jeevan,karyakshetra men nayee khusiyan le aaye is shubhkamna ke sath.
Hemant Kumar
Dubeyji,
Though i'm not fluent in hindi, i can understand ur karttons & what others try to say abt it.
Ye bhi bhagwan ka sabse bada gift...
Keep up the good work and a happy new year 2009
बड़ा ही सटीक कटाक्ष किया है ...
अब हर कोई एडिसन भी तो नही हो सकता....
और आपका संदेश सच है किविशवास से बड़ा कोई धन नही....
बधाई . . . . .!
---मुफलिस---
bahut sahi vichar hai aapke.
हिन्दी साहित्य .....प्रयोग की दृष्टि से
Bahut Sunder, teekhe aur zaberdast cartoon banate hain aap. Shubhkamanain.
K M Mishra
सही कहा है आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
वाह!!वाह!!क्या बात है.
डूबेजी आजकल कहां है?
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