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रंग परसाई स्वतंत्रतापूर्व साहित्य का जायजा लेना हो तो, प्रेमचंद का साहित्य और स्वातंत्रोत्तर भारत का सही जायजा लेने के लिए हरिशंकर परसाई। आजादी के बाद के मोहभंग को परसाई ने जिस मुखरता से अभिव्यक्त किया है,उसकी दूसरी मिसाल हिन्दी में दुर्लभ है। विसंगतियो को उजागर करने में उनकी जैसी महारता किसी के पास नही। मैनें परसाई जी की व्यंग सूक्तियो को अपनी रेखाओ का आधार बना कर जो कूछ भी रचा है,वह परसाई जी की रचना का विस्तार ही है। आज से तीन बरस पहले से परसाई जी के शब्दो को चित्रो मे सँजोता रहा हूँ।
5 टिप्पणियां:
अरे वाह दुबे जी, आप तो कमाल के कलाकार हैं. कार्टून तो अच्छे हैं ही - उक्तियाँ भी बहुत खूब चुनी हैं आपने - मेरे जैसे कंजूस को भी आपकी दाद देनी ही पड़ेगी.
jai parsai..........jai dooobeyji
bahut badhiya
doobeji please kram ko aage badhaie
saty hai mager so called mod
mahilaen pacha payengi ?
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